Wednesday, May 9, 2018

"यादों के दोराहे" (मणीन्द्र पाण्डेय)



एक बार फिर ले आया दिल,

इस अनजाने दोराहे पर...😍
यादों और सपनों के 
बीच बैठे थे हम....
किसी के ख्यालो में.....!😊

उनकी बातों में खो गए
बाते भी झील ऐसी...
कोई भी डूबता चला जाये।
चाहत के दरमियाँ😇😇😇

दिल के किताब में,
जीवन के हर याद में;
जिंदगी के हर पन्ने पे....!
निशाँ मिलते है उनकी बिरह के.😢

कई खूबसूरत ख्वाब;
रूह को अधूरे छोड़ के।
जीवन के सफ़र में;
रिश्ता भी हमसे तोड़ के....!
गुजर जाते है वो रस्ते;
हमको तनहा छोड़ के।।

और अब..........!

गुस्ताखियों के उम्र में,
दिल उनकी यादों में कसमें ले रहा है की कभी प्यार न करूँगा.!

यादों और सपनो के बीच 
बिना हिफाजत
के जो वो मुझे इन स्याह रातों के हवाले छोड़ गया......😢

और हम फिर से उस बेकदर की याद में दुब जातें है।
अजीब रोग है ये..;


बेरुखी इतनी फिर भी मोहब्बत बेइंतहा क्यों होती है उनसे?
"ये मुहब्बत"
खुदा भी इसे ना पा सका और हम जूनिनयत में 
करवटे लेते लेते बर्बाद हो गए.😢


लेखन:-
©©
मणीन्द्र पाण्डेय