"हैरान मेरा अक्श"
हर वक्त मेरा "अक्श" भी हैरान रहता है..!
🤔
कैसे ये अपनी बात यूँ बेबाक कहता है...??
क्यूँ, तनिक न डिगा मार्ग से आये हजारों गम..??
दरिया के "नीर" सा है, निर्बाध बहता है..!
"कैसे ये अपनी बात यूँ बेबाक कहता है...."
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आदित्य प्रकाश पाण्डेय