"क्या लिखुँ" ✍️
"क्या लिखुँ"
कि दिल को तेरे लुभा जाये.
कुछ पल ही सही मगर तू,
मुस्करा जाए..!
चाहता तो हूँ
वो लिखूं
दुःख कम करे तेरा;
तू वापस अपनी उसी खूबसूरत,
दुनिया में आ जाए..!
फिर भी भूल से
ख़ता ग़र मुझसे हो जाये..!
बेझिझक बतलाना की,
की खुद को सुधारा जाये.
अब तो इल्तिज़ा है मेरी
मुझे कोई बता जाये.!
"क्या लिखूं - क्या न लिखूं"
जो तेरा दिल लुभा जाये .…...😘
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लेखक:-
📝 आदित्य प्रकाश पाण्डेय