Thursday, April 12, 2018

"उन्हें देखा तो" (भाग- ३)

"उन्हें देखा तो" 

(भाग- ३)




एक बात आज सत्य साबित हो रही है.!प्रत्येक "प्रेयसि" माहिर होती है.......,एक ऐसी कला में जिसके द्वारा  "प्रेमी" को अपने प्रेम-बंध में अदृश्य धागे द्वारा जकड़ के रखती है।हाँ जी,गुस्ताख़ी मुआफ़ हो. 

लेकिन यही सच है।



(ये पिछली कुछ घटनाओ का ही अगला भाग है इसीलिए बेहतर होगा की आप पिछले लेख को भी पढ़े व् समझे)


हाँ तो मुद्दे पे आता हूँ.!आज कुछ दिनों से तस्वीरो का आगमन बाधित था! क्या पता कारण क्या था?लेकिन आज इन्तजार ख़त्म हुआ😊


आज तस्वीर फिर से आई..!लेकिन इस बार पहली हर एक अदा से अलग़ आजमाइश हुई थी।शायद इस बार इरादे नेक नहीं थे ज़नाब के। ☺सादे नाख़ूनों को गुलाबी रंग से लिपटाया गया था, ऐसे मानो हमे आलिंगन को प्रत्यक्ष न्योता भेजा हो💞सीधी तनी हुई अंगुलियाँ हमारी अँगुलियों को लिपटने को बेताब हो रहे हो, जैसे।और हाँ, ये बायां हाथ था..!

क्यूँकि दाहिने हाथ में जो मोती पहन रखा था इन्होंने उसको कोई कैसे भूल सकता है।कड़े की जमीन को घड़ी कब्जाए बैठा था। मुझे तो लगता है की, इनके श्रृंगार करते समय ये वस्तुएं आपस में टकरा जाती होंगी की नहीं आज मैं साथ जाऊँगा।और क्यूँ नहीं हम इतने दिमाग रखने वाले जब इनके सामने घुटने टेक देते है, तो ये बेचारे निर्जीव किस खेत की मूली है😏


क्या बताऊँ😇अब तो बस यहीं इच्छा है की कब इन हाथो को थाम के बैठ जाऊँ..!अनिश्चित कालीन 😍फिर भले हीं दुनिया इधर की उधर हो जाये।

"मैं न छोड़ू इन कलाइयों को"


दिल तो कभी से उनके पास है अब क्या दें😜





और हाँ...!आप सोच रहे होंगे की बन्दा ऊपर कुछ और लिख रहा था, "शिकवे" जैसा कुछ और निचे आते आते बदल गया तो आपकी जानकारी को बता दूँ की यहीं प्रेम का जादू है।अच्छे अच्छो को मुद्दे से भटका देता है, और आप भी अभी भटक गए हो😇क्यूँकि मेरे दोस्त..,वो मेरे मित्र की प्रेमिका है, आप उसे मेरी समझ रहे हो।

😜😜


इतिश्री


(पिछले दोनों भाग ब्लॉग के होमपेज पे उपलब्ध है)


📝

आदित्य