Wednesday, April 4, 2018

"उन्हें देखा तो" (भाग -२)

"उन्हें देखा तो"

(भाग -२)



(अगर आप किसी कारणवस भाग-१ नहीं पढ़ पाये है, तो इस लिंक के माध्यम से पढ़ ले!
http://adityababa99.blogspot.in/2018/04/1.html?m=1 )



लगता है, अब जियादा जी नहीं पाउँगा मैं......!
तिश्नगी ऐसी बढ़ती जा रही है...,
😍
कल के हाथो से अभी उभरा नहीं हूँ....;
आज "आँखे क़यामत ढा रही है".।।


ये दोस्त वाकई सख्त दिल है.😊

"मेरी जान की परवा ही नहीं हो जैसे"...     

खैर जो भी है अच्छा ही हैं😍

अब लग रहा है ये एक सिलसिला सा बन गया हो...!इन्तजार रहेगा किसी दिन रु-ब-रु भी हो जाऊँ "शायद"....!

"ऐसे दुआएँ क़बूल नहीं होती मेरी.😔"

खैर फिर भी मुद्दे पे आता हूँ...,

हाँ तो,        

तस्वीर आज फिर आ गई.। आज भी अधूरी ही थी, लेकिन मुझ गरीब को तो ये हुस्न का खैरात ही मिला था जैसे...😜

*धनुष* के अविष्कार के समय जो त्रुटिया रह गई थी, शायद उनको सुधारने को ही ईश्वर ने ये भौहें बनाये थे....   

अद्वितीय...!

तस्वीर में तो ऐसे तने हुए थे मानो अब कमान छोड़ के घायल कर दे. 

खैर कुछ भी कहो "निगाहें आज मेरी तरफ ही थी, 

भले ही तिरछी थी लेकिन निशाने पे मैं ही प्रतीत हो रहा था" बचते-बचाते निचे उतरने लगा तो कुछ झील सा लगा....., 

             लेकिन..,      

इतनी शांत झील इसमें तो कोई हलचल ही नहीं थी.  इतनी खामोश झील पहले नहीं देखी थी कहीँ.....🤔अरे ये क्या ये आँखे है उनकी😳

मैं तो खो गया जैसे कुछ पल के लिए.।

"ऐसे ही तिलिस्म होता है शायद"सफ़ेद दूध से आँखों में जो कशिश थी, "काश! डूब जाने का मन होता मेरा..।"

लेकिन माँ बाप को कुछ उम्मीदें है मुझसे।

और यहाँ तो ख़तरा है फिर कभी न निकल पाने का..।

हाँ बादलों से काले कुछ टापू से है शायद इनपे कुछ सहारा मिल सके मुझ जैसे को...!

ये पुतलियाँ नहीं है,इनमें बाकि लोगो को कठपुतली बना देने की क्षमता है..😇

 

सब मिला के ये हीं कह रहा हूँ...,


"जिनको देख के मेरी सांसो को खुमारी लगे...

💞उन्हें हमारी उमर सारी लगे...!"



(क्रमशः)


[आज विशेष आभारी हूँ; मणीन्द्र पाण्डेय जी का जिन्होंने इस पुरे श्रृंखला में मुझे विशेष सहयोग दिया है।
आज इनकी बदौलत ही ये दोनों भाग प्रकाशित हुए है]


©©

(लेखक)
📝 आदित्य