Sunday, September 9, 2018

"हैरान मेरा अक्श"



हर वक्त मेरा "अक्श" भी हैरान रहता है..!
🤔
कैसे ये अपनी बात यूँ बेबाक कहता है...??


क्यूँ, तनिक न डिगा मार्ग से आये हजारों गम..??


दरिया के "नीर" सा है, निर्बाध बहता है..!


"कैसे ये अपनी बात यूँ बेबाक कहता है...."

✍🏻

आदित्य प्रकाश पाण्डेय